सीतामऊ निवासी सीमा पति नीलेश हरगौड का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामगढ़ में 4 दिसंबर 2014 को नसबंदी ऑपरेशन हुआ
डॉक्टर संजय शर्मा एवं ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर राकेश पाटीदार ने महिला को नसबंदी मेघाफिट का प्रमाण पत्र दिया लेकिन डॉक्टर्स ने ऑपरेशन के दौरान घोर लापरवाही बरतते हुए कैंची महिला के पेट में ही छोड़ दी
इस लापरवाही के चलते पीड़ित महिला पिछले दस वर्षो से शारीरिक पीड़ा झेलती आ रही है
महिला द्वारा परिजनों को दर्द की बात बताई गई जिसके बाद परिजनों ने पेट दर्द, पथरी तक का इलाज कराया लेकिन दर्द असहनीय होने पर पीड़ित महिला के पति नीलेश हरगौड ने सीतामऊ शासकीय अस्पताल में दिनांक 30 जुलाई 2024 को महिला का चेकअप करवाया था जहां डॉक्टर अर्जुन धाकड़ ने पेट का एक्सरे किया तो एक्सरे में महिला के पेट में कैंची होना पाया
परिजनों को महिला के पेट में कैंची होने की बात पता चली तो ताबड़तोड़ सीतामऊ से मंदसौर शासकीय अस्पताल ले जाया गया लेकिन मंदसौर में डॉक्टर्स द्वारा परिजनों को बताया गया कि यहां इलाज संभव नहीं है इसके बाद मंदसौर शासकीय अस्पताल से डॉक्टर सिद्धार्थ शिंदे द्वारा डिस्चार्ज सर्टिफिकेट बनाकर 1 अगस्त 2024 को महिला के परिजनों को दिया गया
महिला के परिवार जन निजी खर्च पर अहमदाबाद पहुंचे जहां महिला का ऑपरेशन कर पेट में से कैंची निकाली गई थी
पिछले दस साल से कैंची महिला के पेट में होने से कैंची इतनी अंदर तक धंस गई थी कि अहमदाबाद के डॉक्टरों को पेट के उस पूरे हिस्से को काटकर बाहर निकलना पड़ा
अहमदाबाद के डॉक्टरों ने परिजनों को ऑपरेशन के उपरांत वह कैंची भी दिखाई
इस पूरे घटनाक्रम के बाद सीतामऊ में सर्व समाज ने दोषियों के खिलाफ तुरंत जांच कर कार्यवाही करने के लिए प्रदर्शन किया था
सर्वसमाज द्वारा प्रदर्शन के बाद दिए गए थे जांच के आदेश...रिपोर्ट आई लेकिन देने में की आनाकानी
इस पूरे मामले में सीतामऊ में सर्व समाज द्वारा
कार्यवाही हेतु प्रदर्शन किया गया था जिसके बाद तीन डॉक्टर का जांच दल गठित कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए थे
जांच दल में डॉक्टर एस जी सूर्यवंशी, डॉक्टर प्रीति मानावत, डॉक्टर करुणा चौधरी द्वारा जांच कर दिनांक 23.09.2024 को रिपोर्ट प्रस्तुत की गई जिसमें अभिमत दिया गया है कि पीड़िता सीमा के पेट में जो कैची पाई गई थी जांच में प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर नसबंदी ऑपरेशन की प्रक्रिया में दो लोग अर्थात डॉक्टर संजय शर्मा एवं कविता धाकड़ नर्सिंग ऑफिसर संलग्न थे तथा नसबंदी का ऑपरेशन के बाद मरीज का कोई अन्य ऑपरेशन नहीं हुआ है जो कि मरीज के परीक्षण से साबित होता है अतः यह अभिमत दिया जाता है कि पीड़िता सीमा के पेट में जो कैंची पाई गई है वह नसबंदी ऑपरेशन के दौरान ही त्रुटिवश पेट में छूट गई होगी ऐसा प्रतीत होता है
जानकारी अनुसार जांच रिपोर्ट आने के बाद जब अखिल भारतीय औदुंबर ब्राह्मण समाज के महासचिव उमेश द्विवेदी ने जब संबंधित अधिकारी से जांच रिपोर्ट मांगी तो उन्हें रिपोर्ट देने में भी आनाकानी की गई, पुनः धरना एवं प्रदर्शन की चेतावनी के बाद जांच रिपोर्ट की कॉपी उन्हें सौंपी गई
पीड़ित महिला के पति नीलेश हरगौड ने दैनिक मंदसौर प्रभात के सीतामऊ प्रतिनिधि से चर्चा में बताया कि पिछले दस साल से पत्नी शारीरिक पीड़ा भोग रही थी डॉक्टर्स की घोर लापरवाही है हम मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से टूट चुके है अभी तक किसी प्रकार का मुआवजा भी नहीं मिला है जांच में दोषी पाए गए डॉक्टर्स पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए