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कथा करवाकर मंत्री जी छा गए...कार्यकर्ता कह रहे डंग जी चलो दिल्ली ! जानिए क्या है कथा के सियासी मायने...

कथा करवाकर मंत्री जी छा गए...कार्यकर्ता कह रहे डंग जी चलो दिल्ली ! जानिए क्या है कथा के सियासी मायने...

परितोष राजगुरु  |  10 Jun, 04:02 PM |  3034

कथा करवाकर मंत्री जी छा गए...कार्यकर्ता कह रहे डंग जी चलो दिल्ली ! जानिए क्या है कथा के सियासी मायने...
सुवासरा विधानसभा में आयोजित हुई कथा ने पूरे मध्य प्रदेश के लोगो का अपनी ओर ध्यान खींचा...
सोशल मीडिया पर इन दिनों आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ही छाए हुए है जिन्हे अब तक सुवासरा विधानसभा की जनता ने सिर्फ यूट्यूब और फेसबुक पर देखा था उन संत को अपने बीच पाकर हर व्यक्ति भावुक और उत्साहित रहा...बागेश्वर धाम सरकार को सुवासरा विधानसभा में लाने का पूरा श्रेय मंत्री हरदीप सिंह डंग को जाता है और क्षेत्र की जनता को इतने बड़े चमत्कारिक संत के दर्शन हो पाए उसके लिए भी मंत्री जी आप धन्यवाद के पात्र है !!!

कार्यकर्ता कह रहे डंग जी अब चलो दिल्ली !


वाह मंत्री जी जो काम राजस्थान के भीलवाड़ा , चित्तौड़ समेत मध्य प्रदेश के नीमच ,रतलाम, उज्जैन, इंदौर जैसे शहरों के नेता नहीं कर सके वह काम आपने सुवासरा विधानसभा में कर दिखाया
इतने बड़े संत को कथा के लिए सुवासरा विधानसभा में लाकर आपने अपनी ताकत का आभास सभी नेताओं को भी करा दिया और कार्यक्रम में चाहे इतनी संख्या में जनता बागेश्वर धाम सरकार को देखने आई हो लेकिन भारी भीड़ को देखते हुए और इतने बड़े आयोजन को देखते हुए सुवासरा विधानसभा की आसपास की 200 किलोमीटर तक के क्षेत्र में आपके नाम का डंका बज रहा है ?
कथा के बाद से आपके शुभचिंतक कह रहे है कि मंत्री जी चाहे तो बड़ा चुनाव भी लड़ सकते हैं दबी जुबान में कार्यकर्ता भी कह रहा है डंग जी अब चलो दिल्ली..!

मंत्री जी अब ये भी सुनिए...क्योंकि शायद सोशल मीडिया के फोटो, वीडियो की चकाचौंध के बीच यह बात आपको शायद कोई नही बताएगा


राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय कोई नेता या जनप्रतिनिधि जब इतना बड़ा आयोजन करता है वह भी चुनावी वर्ष में विधानसभा चुनाव से ठीक कुछ माह पहले तो निश्चित रूप से इसके सियासी मायने भी निकाले जाएंगे
कथा की तैयारी को लेकर जितनी बैठक आयोजित हुई उसमें आपने दोनों हाथ तीन तीन बार खड़े करवा करके यह कहा कि कथा कौन करवा रहा है ? अरे मज़ा नहीं आया दोई हाथ उठा के बोलो कथा कौन करवा रहा है ?
और सब ने हाथ खड़े करके कहा कि कथा हम करवा रहे हैं यानी की कथा की आयोजक हुई सुवासरा विधानसभा की आम जनता 
तो जब आम जनता इस कथा की आयोजक थी तो उन्हें तपती धूप में टेंट के बाहर गर्मी में धक्के क्यों खाना पड़े ?
पंडाल के अंदर आने के लिए उसी आयोजक यानी की क्षेत्र की जनता को इतना संघर्ष क्यों करना पड़ा ?
बागेश्वर धाम सरकार की लोकप्रियता से सभी लोग परिचित हैं पूरी तरह से अनुमान था कि इतनी संख्या में लोग आएंगे तो फिर अव्यवस्था क्यों हुई ?
जब कथा की आयोजक आम जनता थी तो आम जनता को पीने का पानी क्यों नहीं मिल पाया ?
मंच के नजदीक जब वीआईपी लोग ठंडे मिनरल वाटर से अपनी प्यास बुझा रहे थे तो उसी आयोजक जनता को तपती धूप में टैंकर का गर्म पानी पीने के लिए मजबूर क्यों होना पड़ा ?
जबकि वीआईपी लोग ठंडे मिनरल वाटर का मजा ले रहे थे...कथा में हो रही इन अव्यवस्थाओं को देखकर सीतामऊ सुवासरा के स्थानीय 80 प्रतिशत लोग जो आपके मतदाता भी है वे लोग कथा पंडाल से दूर अपने घर पर ही लाइव कथा सुन रहे थे...क्षेत्र के युवा बड़ी संख्या में कन्हैया मित्तल के भजन सुनने पहुंचे थे लेकिन भजन संध्या में स्वयं कन्हैया मित्तल को मंच से तीन बार  व्यवस्था को लेकर टोकना पड़ा !
आपने कथा की शुरुवात में एक अच्छा संदेश दिया की कथा में एक भी सोफा कुर्सी नही लगाया जाएगा यानी की वीआईपी कल्चर खत्म तो फिर मंच से लगी पहली दीर्घा में पत्रकारों की जगह पर भी कब्जा जमाकर बैठने वाले वीआईपी कौन थे ?
जिन लोगो को आपने मंच पर बुलाकर आरती करवाई और महाराज जी से दुपट्टा ओढ़ाकर स्वागत करवाया वो वीआईपी नही थे तो कौन थे ?
वीआईपी कल्चर खत्म करने का सबसे अच्छा उदाहरण तो स्वयं पंडित धीरेंद्र शास्त्री जी ने दिया जब वे दो बुजुर्गो को अपने साथ मंच पर ले आए तो फिर मंत्री जी आपने आम कार्यकर्ताओं में, पार्टी के पदाधिकारियों में, सेवादारों में और वीआईपी नेताओ के बीच ये भेदभाव क्यों पैदा होने दिया ?

और मंत्री जी यह भी सुनिए...जिन लोगों पर आपने भरोसा कर जिम्मेदारी दी थी वह वीआईपी सेवादार कथा के समय में हाथ में वाकी टाकी फोन लिए अपना झांकी मंडप कर मजे ले रहे थे और टेंट के बाहर की व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही थी
हमे पता है कि आप तन मन धन से आयोजन को सफल बनाने में लगे थे लेकिन आपके कई वीआईपी मेवादार आपके ही आयोजन की व्यवस्था में चार चांद लगाने में जुटे थे यह हमारा आंखो देखा हम आपको बयान कर रहे है !!!
हम चुप थे क्योंकि कथा के दौरान पूरे प्रदेश की नजरे इस आयोजन पर थी...हम भी चाहते है कि हमारे क्षेत्र से सकारात्मक और अच्छा संदेश अन्य क्षेत्र में जाए लेकिन इसकी जिम्मेदारी सबसे पहले आपकी है क्योंकि कथा के वास्तविक आयोजक आप हो

व्यवस्था में जुटा हर एक निस्वार्थ कार्यकर्ता और कई संगठन बधाई के पात्र है... खेजडिया सीतामऊ समेत क्षेत्र के स्थानीय निस्वार्थ सेवादारों ने व्यवस्था संभाली

निस्वार्थ कार्यकर्ताओं ने और संगठनों ने आयोजन में व्यवस्था की बचाई लाज...प्रशासन की मुस्तैदी से आयोजन संभव हो पाया
एक और जहां आप के विश्वासपात्र पूरी तरह से कथा के मजे ले रहे थे और गले में कार्ड टांगे हाथ में वायरलेस फोन लिए अपने आपमें वीआईपी बने घूम रहे थे वही ऐसे कार्यकर्ता जिनका शायद आपसे अभी तक कोई काम भी ना पड़ा हो उन कार्यकर्ताओं ने आपके इस बड़े आयोजन की व्यवस्था को संभाला है
ऐसे संगठन जिन्हें राजनीति से कोई लेना-देना नहीं उन संगठन के कार्यकर्ताओं ने मिलकर इस बड़े आयोजन में तन मन धन से सेवा की है ऐसे तमाम निस्वार्थ सेवादारों के जज्बे को हम सलाम करते है

नोट - कथा का विश्लेषण करने वाले हम कोई नही होते..ना ही कथा का और धार्मिक आयोजन का कभी विश्लेषण किया जा सकता है..कथा का मूल उद्देश्य तो भक्त को भगवान से जोड़ने का होता है जो बागेश्वर धाम सरकार की कथा में हुआ भी...लेकिन आयोजन से जुड़ी व्यवस्था अव्यवस्था के बारे में आम जन को और आपको बताना हमारा कर्तव्य भी है और अधिकार भी !!!
सीता राम 


कथा करवाकर मंत्री जी छा गए...कार्यकर्ता कह रहे डंग जी चलो दिल्ली ! जानिए क्या है कथा के सियासी मायने...

ग्वालियर घराने की राजमाता और केंद्रीय मंत्री...

ग्वालियर घराने की राजमाता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की माता माधवी राजे सिंधिया का दिल्ली में दुखद निधन

ग्वालियर घराने की राजमाता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की माता माधवी राजे सिंधिया का दिल्ली में दुखद निधन...
नेपाल की राजकुमारी से ग्वालियर की राजमाता तक का सफर

एम पी 14 न्यूज
परितोष राजगुरू 

ग्वालियर राजघराने की राजमाता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की माता माधवी राजे सिंधिया का बुधवार सुबह निधन हो गया वह 70 वर्ष की थीं माधवी राजे लंबे समय से बीमार चल रही थी। 15 फरवरी को उन्हें एम्स में भर्ती किया गया था और तब से ही उनकी तबियत खराब चल रही थी।

दिल्ली के एम्स से जुड़े सूत्रों ने कहा कि माधवी राजे सिंधिया ने सुबह 9:28 बजे अंतिम सांस ली। पिछले कुछ दिन से वह वेंटिलेटर पर थीं और जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही थीं। उन्हें 15 फरवरी को एम्स में भर्ती किया गया था। उन्हें सेप्सिस के साथ निमोनिया भी हो गया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से भाजपा के प्रत्याशी हैं, जहां सात मई को मतदान हुआ था। चुनाव प्रचार के दौरान भी सिंधिया का लगातार दिल्ली दौरा होता रहा था

भाजपा के कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां राजमाता माधवी राजे सिंधिया मूल रूप से नेपाल की रहने वाली थीं। उनका नेपाल के राजघराने से संबंध था। उनके दादा जुद्ध शमशेर बहादुर नेपाल के प्रधानमंत्री थे। साल 1966 में उनका माधवराव सिंधिया के साथ उनका विवाह हुआ था।

15 फरवरी को किया गया था भर्ती

माधवी राजे को सांस में तकलीफ होने पर 15 फरवरी को दिल्ली के एम्स में भर्ती किया गया था। वह लाइफ सपोर्ट सिस्टम (वेंटिलेटर) पर थीं। खुद ज्योतिरादित्य ने गुना में चुनाव प्रचार के दौरान राजमाता के बीमार होने की जानकारी दी थी। दो मार्च को 195 प्रत्याशियों की सूची में भाजपा ने सिंधिया को गुना-शिवपुरी से उम्मीदवार बनाया था। इसके तीन दिन बाद सिंधिया ने अपने क्षेत्र में पहला कार्यक्रम किया था। इस दौरान उन्होंने बताया था कि राजमाता पिछले कुछ दिनों से बीमार है। आप लोगों में भी तो मेरा भाई, बहन, मां-पिता हैं। मैं परिवार को परेशानी में नहीं देख सकता। ओलावृष्टि ने फसलों को बर्बाद किया है। ऐसे दुख के समय में मुझे भी आपसे मिलने आना ही था।

राजमाता का निधन : नेपाल की राजकुमारी से ग्वालियर की राजमाता तक का सफर, सिंधिया परिवार की आधार स्तम्भ थी माधवी राजे....आप पढ़ रहे है एम पी 14 न्यूज डॉट कॉम

राजमाता माधवी राजे सिंधिया नेपाल के राणा राजवंश से हैं। इस राजवंश के प्रमुख जुद्ध शमशेर जंग बहादुर राणा थे, जो नेपाल के प्रधानमंत्री भी रहे। 60 के दशक में, ग्वालियर के सिंधिया परिवार को नेपाल के राजघराने से शादी का प्रस्ताव आया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया | ग्वालियर राजघराने की सबसे वरिष्ठ सदस्य, माधवी राजे सिंधिया, का नाम शादी से पहले किरण राज लक्ष्मी था। ग्वालियर राजघराने की बहू बनकर आने के बाद, परंपरा के अनुसार उन्हें नया नाम मिला और वह माधवी राजे सिंधिया के नाम से जानी जाने लगीं।

खूब चर्चाओं में रही थी शादी...विशेष ट्रेन से गई थी बारात

नेपाल की राजकुमारी एवं ग्वालियर राजघराने के माधवराव सिंधिया की शादी उन दिनों बड़ी चर्चा में रही थी शादी में बारात के लिए ग्वालियर से दिल्ली तक विशेष ट्रेन चलाई गई थी जिसमे सभी मेहमान बाराती दिल्ली पहुंचे थे इस शादी में देश विदेश की कई बड़ी हस्तियां शामिल हुई थी

सीतामऊ अफीम तौल केंद्र की डिजिटल तौल पर्ची में दिनांक और...

सीतामऊ अफीम तौल केंद्र की डिजिटल तौल पर्ची में दिनांक और समय गलत अंकित...जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष ने जताई आशंका

अफीम तौल केंद्र सीतामऊ पर इलेक्ट्रॉनिक तोल मशीन कांटा पर तौल के पश्चात दी जाने वाली कंप्यूटराइज्ड रसीद पर अंकित तौल की दिनांक एवं समय गलत अंकित होने पर किसानों को आशंका है कि रसीद पर अंकित अफीम का वजन भी गलत हो सकता है

उपरोक्त आशय की जानकारी देते हुए लदूना के काश्तकार एवं जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष गोविंद सिंह पवार ने बताया कि लदूना सहित आसपास के लगभग 70 किसान जो की चीरा लगाकर अफीम के उत्पादन एवं पोस्त की खेती करते हैं उपरोक्त सभी किसानों के अफीम का तौल सीतामऊ तौल केंद्र पर दिनांक 5 अप्रैल 2024 को प्रातः 6:30 से प्रारंभ किया गया 
यह कि जिला अफीम अधिकारी तृतीय खंड द्वारा सूचना देकर सभी किसानों को दिनांक 4 अप्रैल को शाम 7:00 बजे तोल केंद्र पर उपस्थित होने के निर्देश दिए गए थे इसके पालन में सभी  किसान सुवासरा रोड स्थित शहनाई गार्डन पर बनाए गए अफीम तौल केंद्र पर दिनांक 4 अप्रैल को ही उपस्थित हो गए थे श्री पंवार ने बताया कि वह अपनी अफीम 4 अप्रैल को शाम 7:00 बजे घर पर तौलकर अफीम केंद्र पर ले गए थे जिसका वजन 6 किलो 740 ग्राम था किंतु प्रातः जब तौल की पर्ची में देखा तो घर पर किए गए  तोल से 140 ग्राम अफीम तोल केंद्र पर कम पाई गई और अफीम तौल केंद्र द्वारा 6 किलो 620 ग्राम की रसीद बनाई गई
ऐसे में ग्राम लदूना से महज 5 किलो मीटर दूरी पर तौल केंद्र तक जाने में वजन करवाने पर 120 ग्राम वजन कैसे कम हो सकता है
श्री पवार ने नारकोटिक्स उपयुक्त नीमच से मांग की है कि सीतामऊ तौल केंद्र की सभी मशीनों का भौतिक सत्यापन जनप्रतिनिधियों एवं मीडिया के समक्ष किया जावे एवं डिजिटल तौल केंद्र की जांच भी की जावे
श्री पवार ने बताया कि दिनांक 5 अप्रैल को सीतामऊ स्थित अफीम तौल केंद्र पर चीरा लगाने वाले अफीम किसानों के तौल का अंतिम दिन था केंद्र पर किसानों को दी जाने वाली डिजिटल मशीन की रसीद में  दिनांक एवं समय भी गलत अंकित हुआ है जो की बुनियादी चीज होती है ऐसे में जब डिजिटल रसीद पर दिनांक और समय गलत प्रिंट हो रहा है तो अफीम के तौल का वजन भी सही है या नहीं इसके प्रति किसान आशंकित है साथ ही तौल केंद्र पर  कृषक परिचय पत्र में भी रेंज प्रभारी या जारीकर्ता के हस्ताक्षर नहीं है
दिनांक 5 अप्रैल को सीतामऊ स्थित अफीम तौल केंद्र पर ग्राम लदुना, सासरी पिपलिया, रामगढ़, धाणी आदि के करीब 70 किसान पहुंचे थे

मामले में सीतामऊ अफीम तौल केंद्र पर मौजूद अधिकारी निरंजन गुरु का कहना है कि केंद्र पर अफीम तौल के वजन में गड़बड़ी जैसी कोई गुंजाइश नहीं है
तौल के समय वजन की मूल पर्ची किसान को दी जाती है एवं एक कॉपी विभाग के पास रहती है किसान के संतुष्ट होने पर उसके द्वारा हस्ताक्षर किए जाते है
तौल की रसीद में दिनांक एवं समय में प्रिंट की त्रुटि लाइट के फॉल्ट के चलते हुई होगी अन्यथा ऐसी समस्या से केंद्र पर किसी भी किसान ने अवगत नहीं करवाया

सीपीएस पद्धति को लेकर सांसद सुधीर गुप्ता ने की अफीम...

सीपीएस पद्धति को लेकर सांसद सुधीर गुप्ता ने की अफीम किसानों से अपील

सीपीएस पद्धति को लेकर सांसद गुप्ता ने की अफीम किसानों से अपील

एम पी 14 न्यूज
परितोष राजगुरू

मंदसौर 
सांसद सुधीर गुप्ता ने सीपीएस पद्धति के सभी अफीम किसानों से अपील जारी करते हुए कहा कि कोई भी किसान भाई किसी भी अधिकारी या मुखियों को किसी भी तरह का रिश्वत का लेन देन ना करें। उन्होने कहा कि विभाग को सिर्फ यह देखना है कि सीपीएस पद्धति के किसानों ने चीरा तो नही लगाया है इसके अलावा किसी तरह से मुखिया या किसी भी संबंधित द्वारा झूठा नियम बताकर या आश्वासन देकर रूपये की मांग की जाती है तो इसकी सूचना सांसद कार्यालय के नंबर या मेरे व्यक्तिगत मोबाइल पर तुरंत दे। 
            सरकार ओर विभाग की सारी योजनाएं पूरी तरह पारदर्शी है। सांसद गुप्ता ने सभी अफीम किसानों से आग्रह किया कि कोई भी किसान किसी प्रकार की भ्रामक जानकारी में या बहकावे में आकर पैसे नही देवे। इसी के साथ ही सांसद गुप्ता ने संबंधित अधिकारियों से भी चर्चा करते हुए निर्देशित किया है कि किसी भी प्रकार से किसानों को परेशानी नही आये। साथ ही जो इस प्रकार का किसानों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे है उनके खिलाफ सख्त कारवाई की जाये।

कॉल रिकॉर्डिंग को अदालत में साक्ष्य माना जाए या नहीं इस...

कॉल रिकॉर्डिंग को अदालत में साक्ष्य माना जाए या नहीं इस पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

कॉल रिकॉर्डिंग को अदालत में साक्ष्य माना जाए या नहीं इस पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

एम पी 14 न्यूज
परितोष राजगुरु

हाल ही में  सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पति-पत्नी विवाद के बीच मोबाइल रिकॉर्डिंग के मामले पर फैसला सुनाया है

भारत में फोन पर कॉल रिकॉर्डंग को लेकर लोग काफी परेशान रहते हैं। कोई कॉल रिकॉर्डिंग करने के लिए परेशान है तो कोई किसी और द्वारा कॉल रिकॉर्डिंग को लेकर परेशान है।

आईफोन वाले इस बात से परेशान रहते हैं कि उनके फोन में कॉल रिकॉर्डिंग की सुविधा ही नहीं है। यदि आप भी इनमें से किसी भी कैटेगरी में आते हैं तो यह खबर आपके बहुत ही काम आने वाली है।

अब फोन पर किसी के कॉल को रिकॉर्ड करना महंगा पड़ सकता है। यह हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है और इसके लिए आपके खिलाफ आईटी एक्ट की धारा 72 के तहत कार्रवाई हो सकती है।

फोन टैपिंग के चर्चित केस नीरा राडिया पर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पति-पत्नी विवाद के बीच मोबाइल रिकॉर्डिंग के मामले पर फैसला सुनाया है।

कोर्ट ने कहा है कि किसी भी सूरत में कॉल रिकॉर्डिंग को साक्ष्य के तौर पर अदालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। कोर्ट के मुताबिक बिना मंजूरी मोबाइल फोन कॉल को रिकार्ड करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के उस फैसले को भी रद्द कर दिया है, जिसमें सबूत के तौर पर रिकार्डिंग को पेश करने की इजाजत दी गई थी। 

हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता पत्नी से हुई बातचीत को उनकी जानकारी के बिना चुपचाप रिकॉर्ड कर लिया। यह कारगुजारी संवैधानिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।

पूरा मामला क्या है?

यह पूरा मामला छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले का है। यहां पत्नी ने फैमिली कोर्ट में पति से गुजारा भत्ता दिलाने के लिए आवेदन किया था जिसके बाद पति ने फैमिली कोर्ट में पत्नी की बातचीत की रिकार्डिंग करने और उसे कोर्ट में साक्ष्य के रूप में पेश करने की मंजूरी मांगी थी।

पति ने पत्नी के चरित्र पर भी आरोप लगाया था। पति की इस मांग को फैमिली कोर्ट ने स्वीकार करते हुए रिकॉर्डिंग को साक्ष्य के तौर पर लिया। फैमिली कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

क्या है कानून?

यदि अगर किसी की इजाजत के बिना मोबाइल या फोन रिकॉर्ड की जाती है तो वह आईटी एक्ट-2000 की धारा 72 का उल्लंघन है।

इसके तहत किसी भी इलेक्ट्रानिक डिवाइस के जरिए व्यक्ति की मंजूरी के बिना उससे जुड़ी सूचना, दस्तावेज या अन्य सामग्री हासिल करना और उसे उसकी मंजूरी या जानकारी के बिना सार्वजनिक करना धारा-72 का उल्लंघन है। इसके तहत दो साल की सजा और एक लाख जुर्माने का प्रावधान है।

मंदसौर, नीमच, शामगढ़ जैसे रेलवे स्टेशनों का उन्नयन...

मंदसौर, नीमच, शामगढ़ जैसे रेलवे स्टेशनों का उन्नयन संसदीय क्षेत्र के लिए बड़ी उपलब्धि लेकिन सुवासरा, सीतामऊ, मंदसौर रेल लाइन की मांग पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों का मौन समझ से परे !

मंदसौर, नीमच, शामगढ़ जैसे रेलवे स्टेशनों का उन्नयन संसदीय क्षेत्र के लिए बड़ी उपलब्धि लेकिन सुवासरा, सीतामऊ, मंदसौर रेल लाइन की मांग पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों का मौन समझ से परे !

एम पी 14 न्यूज
परितोष राजगुरु 

भारतीय रेल के आधुनिकीकरण की दिशा में न्यू इंडिया के सपनों को सरकार करते हुए मंदसौर नीमच क्षेत्र भी निरंतर आगे बढ़ रहा है इसी क्रम में मंदसौर एवं नीमच रेलवे स्टेशन को कई नई सुविधा मिलेगी
लगभग 15 - 15 करोड रुपए इन दोनों स्टेशन के उन्नयन के लिए केंद्र सरकार द्वारा खर्च किए जाएंगे जिसके अंतर्गत रेलवे स्टेशन पर फुट ओवर ब्रिज, प्लेटफार्म के फर्श का सुधार , वेटिंग हॉल, रेस्टोरेंट , डिस्प्ले बोर्ड, लिफ्ट , यात्रियों के लिए कई सुविधाएं दी जाएगी

मंदसौर रेलवे स्टेशन पर मौजूदा प्रतीक्षालय एवं शौचालय में सुधार किया जाएगा साथ ही यातायात व्यवस्था में सुधार हेतु भी कार्य किए जाएंगे इसके अतिरिक्त एसी वेटिंग हॉल, वाटर कूलर , नए डिस्प्ले बोर्ड, उच्च स्तरीय रोशनी की व्यवस्था आदि से जुड़े निर्माण कार्य भी किए जाएंगे
जानकारी अनुसार मंदसौर जिले के ही शामगढ़ रेलवे स्टेशन पर प्रथम चरण में विकास कार्य शुरू हो चुके हैं निश्चित रूप से मंदसौर, नीमच, शामगढ़ जैसे रेलवे स्टेशनों पर रेलवे द्वारा इस सौगात का मिलना संसदीय क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है यह सब क्षेत्र के सांसद सुधीर गुप्ता के अथक प्रयासों से संभव हो पाया
लेकिन इन उपलब्धियो के बीच लंबे अरसे से चर्चा का विषय रही सुवासरा मंदसौर वाया सीतामऊ रेल लाइन पर जनप्रतिनिधियों का मौन समझ से परे है !
जब सुवासरा मंदसौर रेल लाइन की शुरुआती दौर में बात उठी थी उस समय की अन्य कई समसामयिक रेल परियोजनाएं आज मूर्त रूप ले रही है लेकिन इसे क्षेत्र की जनता का दुर्भाग्य ही कहेंगे की समय-समय पर इस रेल लाइन से जुड़ी बातें तो बहुत हुई लेकिन धरातल पर इस योजना का कोई नामोनिशान आज भी नही है !
जब जब चुनाव आए और क्षेत्र की जनता ने मांग की तो जनप्रतिनिधियों ने सर्वे नमक आश्वासन के ठंडे छींटे जरूर डालें लेकिन इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति का अभाव अब साफ नजर आने लगा है

ना कोई चर्चा, ना कोई मांग, ना कोई पत्र ! 
सिर्फ सर्वे का खेल...फिर कैसे आएगी रेल ?

बात करें मंदसौर सुवासरा रेल लाइन की तो यह कांग्रेस एवं भाजपा दोनों दल के संसदीय क्षेत्र के नेताओं के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न रही है इस रेल लाइन से जुड़ी प्राथमिक सफलता का श्रेय लेने और आरोप प्रत्यारोप करने की होड़ दोनों दलों ने कई बार की लेकिन वर्तमान परिदृश्य में सुवासरा सीतामऊ क्षेत्र के जनप्रतिनिधि कभी भी मुखरता से अपने क्षेत्र की इस लंबित मांग को आगे नहीं बढ़ा पाए जब जब केंद्रीय नेताओ से मिलने का अवसर मिला तब तब सिर्फ स्वागत और फोटो तक सीमित रहे...ना कोई मांग रखी ना कोई पत्र लिखा ?  साथ ही संसदीय क्षेत्र में विपक्ष तो मानो खत्म जैसा ही हो गया है सिर्फ विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव के पूर्व दावेदारी करने के लिए विपक्ष के नेता जागते हैं ! सुवासरा सीतामऊ क्षेत्र में जनहित के मुद्दों एवं जनता की आवश्यकता से जुड़ी योजनाओं पर आवाज उठाना तो दूर मांग तक नहीं रखते ! चुनाव से पहले दावेदारों की बड़ी संख्या कांग्रेस में दिखती है लेकिन जनहित के मुद्दो पर संगठन के पदाधिकारी और जमीनी नेताओ के भरोसे ही आज भी विपक्ष की गाड़ी चल रही है
दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे के बनने के बाद से अब मंदसौर सुवासरा रेल लाइन योजना और भी ज्यादा ठंडा बस्ते में जा चुकी है इन सब के बीच उम्मीद की एक नई किरण जरूर दिखी है क्योंकि अब मंदसौर जिले को प्रदेश सहित केंद्र की राजनीति में भी महत्वपूर्ण स्थान मिला हैं जिसके अंतर्गत मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा हमारे मंदसौर जिले के हैं हाल ही में राज्यसभा सांसद बने बंशीलाल गुर्जर मंदसौर जिले से है वर्तमान सांसद और भाजपा की केंद्रीय टीम में राष्ट्रीय दायित्व का निर्वहन कर चुके सुधीर गुप्ता मंदसौर से है और संसद रत्न जैसा सम्मान पाकर देश के चुनिंदा सांसदों में भी जगह बनाई है इतना सब होने के बाद भी अमृत काल की आधुनिक सुविधाओं वाली भारतीय रेल से सीतामऊ क्षेत्र अब तक क्यूं वंचित है ?
आम जनता को जनप्रतिनिधियों एवं सरकार से यह उम्मीद जरूर है कि इस रेल योजना के ऊपर गंभीरता से न सिर्फ प्रयास किए जाएंगे बल्कि जल्द से जल्द इसे धरातल पर उतारने का काम भी करेंगे
स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा लंबे अरसे से इस रेल योजना को लेकर कभी मांग ना उठाना भी समझ से परे है
छोटे-छोटे विषयों पर पत्र लिखकर प्रदेश और देश के नेताओं से अलग-अलग मांग कर अपने सक्रिय होने का प्रमाण देने वाले जनप्रतिनिधि इस विषय पर मौन क्यों रहते है ? क्या क्षेत्र के विकास से जुड़ी मांग रखना पार्टी गाइडलाइन के विरुद्ध है ?  आपसे आम जनता यही उम्मीद कर रही है की सुवासरा, सीतामऊ क्षेत्र से जुड़े लोगो की इस महत्वपूर्ण मांग पर भी गंभीरता से प्रयास आपके द्वारा निकट भविष्य में किए जाएंगे